hindi motivational story in hindi. short motivational hindi story
Table of contents
2) मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग
3) दयालु विजय best moral short story in hindi.
4) कछुए और हंसो की दोस्ती murkh batuni kachhua
प्रस्तावना :–
दोस्तों आज मैं लेकर आया हूं hindi motivational story in hindi. की तीन ऐसी कहानी जो आपको मोटिवेशन के साथ-साथ कुछ ना कुछ आवश्यक सीखने को मिलेगा। hindi motivational story in hindi. इन कहानियों को पढ़ने के पश्चात आपने नहीं ऊर्जा का संचार होगा और आपको पढ़ने में भी आनंद आएगा। तो चलिए चलते हैं कहानी की ओर :-
मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग
एक गांव मे बहुत हि प्रतिष्ठित बुद्दिमान विद्वान रहते थे,उनकी ख्याति दूर - दूर तक फैली हुई थी।
एक दिन वंहा के राजा उनको चर्चा मे बुलाते है। चर्चा मे काफी विचार विमर्श हुआ, वह विद्वान वंहा अपनी बुद्धिमानी का छाप छोड़ा। चर्चा समाप्त होने कि कगार पर थी। तभी ने राजा उस विद्वान से कहा - "तुम इतने बुद्धिमान हो और तुम्हारा बेटा बहुत हि मूर्ख है, उसे तो सोने और चाँदी मे कीमती कौन है? यही पता नहीं है, तुम उसे कुछ समझाओ, सिखाओ।"
सभा समाप्त हुआ। वे विद्वान घर पहुंचते हैं और अपने बेटे से पूछते है। बेटा सोने और चाँदी मे कौन सबसे ज्यादा कीमती है। बेटा बिना एक पल गवांय उत्तर देता है। पिता जी सोना। तुमने तो जवाब सही दिया लेकिन राजा ऐसा क्यों कह रहे थे।
बेटा सारी बातें समझ जाता है और बोलता है। पिता जी मेरे विद्यालय जाने के रास्ते मे ही हप्ते मे तीन से चार दिन वंहा सभा लगते है। जब मैं वही से अपने विद्यालय जाने के लिए गुजरता हूँ। तभी राजा मुझे बुला लेता है और अपने एक हाँथ मे सोना के सिक्के तथा दूसरे हाँथ मे चाँदी के सिक्के लेकर कहते है। इनमे से एक वस्तु उठाकर ले जाओ। मैं तो चाँदी के सिक्के उठाता हूँ। तभी सभी ठहाके लगाकर हँसते है।
उसके पिता जी थोड़ा सा रोष होते हुए कहते है। तो फिर तुम सोने के सिक्के क्यों नहीं उठाते? तुम तो अपनी खिल्ली उड़ाते हो सांथ मे मेरा भी। बेटा उसे अलमारी के पास ले। जाते है। अलमारी से एक पेटी निकलता है। वह पेटी चाँदी के सिक्कों से भरा रहता है। पिता जी हैरान हो जाता है।
लड़का बोला - जिस दिन मैं सोने मे सिक्के उठा लिया उस दिन से खेल ख़त्म हो जाएगा। वो मुझे मूर्ख समझकर मज़ा लेते है तो लेने दो, मैं भी कुछ कम नहीं हूँ यदि मैं बुद्धिमानी दिखाऊंगा तो मुझे कुछ नहीं मिलेगा। आपका बेटा हूँ अक्ल से काम लेता हूँ।
Moral of the story:-
मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग होता है। एक बार का और तुरंत का फायदा लेने के बजाय समझदार लोग अधिक बार और लंबे समय कि सोचते हैं। इस कहानी के बारे मे अपनी राय हमें कमेंट जरूर करें।
दयालु विजय best moral short story in hindi
दोस्तों आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दीजिए जिससे वह अच्छे काम करने के लिए प्रेरित हो। आज की हमारी कहानी इसी टॉपिक पर आधारित है कि कैसे एक छोटे से बच्चा जिसका नाम विजय है। वह अपनी दयालुता के कारण जाने जाते है।
दयालु विजय best moral short story in hindi :- एक गांव में विजय नाम का लड़का रहता था। वह बहुत ही दयालु तथा नेक दिल बच्चा था। उसको सभी प्यार करते थे विजय सभी की मदद करते थे। एक दिन उसकी मां ने उसे केले लेने के लिए दुकान भेजा। जब विजय केला लेकर घर लौट रहे थे, तभी एक छोटी सी बच्ची अपनी मां की गोद में रो रही थी। वह लड़की भूखी थी विजय के हाथ में केले देखकर अपनी मां से केले के लिए मांग करने लगी। मां ने उसे एक थप्पड़ मार दिया जिससे वह लड़की और भी तेजी से रोने लगी। विजय यह सब देख रहा था उससे रहा नहीं गया तथा उस महिला से पूछ लिया- "आपकी बेटी क्यों रो रही है?" उस महिला ने जवाब दिया "बेटा यह बहुत भूखी हैं मैंने किसी तरह यह थोड़े से आंटा लिया है घर जाकर रोटी बनाकर इसे खिलाऊंगी। मैं बहुत गरीब हूं।" विजय को उन पर बहुत दया आया उसने अपने सारे केले उस लड़की को दे दिया घर वापस लौट कर विजय ने अपनी मां से सारी बातें बता दी। मां बोली "बहुत अच्छा काम किया बेटे भूखे गरीब बच्चे की मदद करके तुम इसी तरह तुम भूखे गरीबों की मदद करते रहना।"
Murkh batuni cachuaa मूर्ख बातूनी कछुआ moral story in hindi
एक बहुत ही सुंदर हरे भरे जंगल के बीच छोटा सा तलाब था। इस तालाब में एक बड़बोले कछुआ रहता था। वह बहुत ही चंचल स्वभाव के थे। कछुए की एक बहुत ही गंदी आदत थी कि वह बहुत अधिक बातें किया करते थे। जंगल के जो भी जानवर उस तालाब में पानी पीने के लिए जाते कछुए उनसे खूब बातें किया करते जिससे जानवरों का भी मनोरंजन हो जाता था।
एक दिन दो कपल हंस उस तालाब में पानी पीने के लिए आया वे दोनों हंस व्यवहार सिलता व अनुभवी थे कछुआ दोनों हंसो से मीठी-मीठी बातें करना प्रारंभ कर दिया। हंस भी कछुए की मंद चाल से बहुत प्रसन्न थे। अब वे दोनों हंस तालाब किनारे हर शाम को आने लगे कछुआ और हंसो की दोस्ती जमने लगी। देखते-देखते उन तीनो में गहरी दोस्ती हो गई।
एक वर्ष ऐसा भी आया कि तलाब एकदम से सूखने लगे, क्योंकि इस वर्ष बरसात के मौसम में वर्षा भी नहीं हुआ था। कछुआ को यह चिंता खाए जा रहा था, कि मैं कब तक जीवित रह पाऊंगा। अकाल तो बढ़ती जा रही है इधर हंस भी अपने दोस्त के लिए चिंतित होने लगे। वे दोनों इस समस्या से निपटने के लिए कछुए को सांत्वना देते और इससे निपटने के लिए विचार विमर्श करते। काफी विचार-विमर्श के बाद हंसो ने इस समस्या का हल निकाल ही लिया।
हंस कछुआ से कहता हैं:– देखो मित्र यहां से 50 कोस दूर एक बहुत बड़ा झील है उसमें तुम अपनी सारी जिंदगी सुख पूर्वक व्यतीत कर सकते हो, तुम्हें कोई भी परेशानी नहीं आएगी। कछुआ यह सब सुनकर रुवासी आवाज में कहते हैं 50 कोस दूर! वहां तक चलते चलते तो कई महीने लग जाएंगे। पता नहीं चलते चलते कब लुढ़क जाऊं? तभी हंस कहते हैं घबराओ नहीं मित्र हम तुम्हें वहां तक ले जाएंगे।
लेकिन कैसे? तभी हंस कछुआ से कहते है। हम दोनों तुम्हें उडाकर ले जाएँगे। तुम बस एक काम करना। अपने मुँह से लकड़ी के बीचो बीच पकड़े रहना। ध्यान रहे जब तक हम वंहा नहीं पहुँच जाते तुम एक भी शब्द अपने मुँह से मत निकलना। अर्थात चुप ही रहना। कछुआ मान जाता है। हँस उसे उडा कर ले जा रहे होते है कि बीच मे एक कस्बे आ जाता है। वंहा के बच्चे, बूढ़े, नवजवान और महिलाए उड़ते हुए कछुआ को देखकर अचम्भित हो जाते है। वे सभी चील्लाने लगते है। वे देखो कछुआ उड़ रहा है। कछुआ उड़ रहा है। इतनी भीड़ को देखकर कछुआ सांत नहीं रह सका। वे हंसो से कहने हि वाले थे कि देखो हमें कितने लोग देख रहे है, वह नीचे गिर गया। नीचे गिरने कि वजह से उसकी हड्डी पसली एक हो गई तथा उसकी मृत्यु हो गई।
सीख :-
बोलना अच्छी बात है लेकिन बेवजह और असमय बोलना घातक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष :-
आशा करता हूं कि यह तीनों कहानी आपको पसंद आया होगा। पहली कहानी हमें सीख देती हैं की कभी-कभी हमें अपने आपको मूर्ख दिखाना भी पड़ सकता है। दूसरी कहानी दयालुता के ऊपर है। छोटे बच्चो को भी इसी प्रकार संस्कार देनी चाहिए। तीसरे कहानी में हम देखते है कि बेवजह और असमय बोला कितना घातक हो सकता है? ये कहानियां आपको पढ़ने में कैसी लगी हमे जरूर बताए।
धन्यवाद
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