motivational stories, short story writing :- Sarhad Paar love Story Part 1
Sarhad Paar प्रेम कहानी शुरू होती है गुजरात के Lakhpat Village से जो कि International Border से 40 km पहले है और यह भारतीय सीमा का आखिरी गाँव है। यह कहानी इसी Village के एक लड़के की है जिसका नाम परविंदर और अभी उसकी उम्र 13 वर्ष है।
परविंदर का सिर्फ एक ही सपना है, Join B.S.F…. वह रात को सोता भी है तो उसको लगता है वो Border पर है। परविंदर के पिता का नाम सुखविंदर सिंह है और वो सारा दिन Lakhpat गुरुद्वारा साहिब में रहकर लोगो की सेवा करते है। परविंदर की माँ नही है, वह जब पैदा हुआ था उसके तीन साल बाद ही उसकी माँ आतंकवादियों की गोली का शिकार हो गयी।
वह जिस स्कूल में पढता है, उसमे सभी धर्म के विद्यार्थी पढते है, पर परविंदर उनसे कुछ अलग है, जब उससे उसका धर्म पूछा जाता है तो जवाब देता है हिंदुस्तान, जाति वो अपनी हिंदुस्तानी बताता है।
उसी स्कूल में एक और विद्यार्थी है, उसका नाम सिद्धार्थ शर्मा है, सिद्धार्थ और परविंदर बहुत ही अच्छे और सच्चे दोस्त है। सिद्धार्थ, परविंदर को अपने भाई जैसा मानता है, सिद्धार्थ के परिवार में माता-पिता और 2 बहने है।
सिद्धार्थ एक कट्टर हिन्दू है लेकिन परविंदर और सिद्धार्थ का एक ही सपना है, दोनों ही अपने देश भारत की सेवा करना चाहते है, बस रास्ते अलग-अलग है। परविंदर फौजी बनकर देश की सेवा करना चाहता है और सिद्धार्थ नेता बनकर अपने देश की सेवा करना चाहता है।
सिद्धार्थ के पिता नागपुर में रहते है। सिद्धार्थ के पिता रामसेवक और सुखविंदर जी भी अच्छे दोस्त है।
एक बार रामसेवक जी का सुखविंदर जी के पास फोन आता है –
रामसेवक – यार सुखविंदर कैसा है?
सुखविंदर- बस यार वाहे गुरु दी कृपा है, तू बता ?
रामसेवक- बस यार अपने काम पर लगा हूँ, सोच रहा हूँ सिद्धार्थ को भी अपने पास बुला लूँ।
सुखविंदर- अच्छा तूने सिद्धार्थ से इस बारे में बात की है, वो क्या चाहता है ?
रामसेवक- न यार बात क्या करनी है, वो मेरा बेटा है।
सुखविंदर- चल ठीक है तू बुला ले उसे, लेकिन क्या सिद्धार्थ और परविंदर अलग-अलग रह पाएंगे ?
रामसेवक- यार तू कहे तो मैं दोनों को अपने पास बुला लूँ।
सुखविंदर- अरे नहीं नही……..परविंदर बिल्कुल ही अलग किस्म का है, वो नहीं रह पायेगा, तू रहने दे सिद्धार्थ को ही बुला ले।
रामसेवक- चल ठीक है मैं सिद्धार्थ से बात करता हूँ, अच्छा रखता हूँ राम-राम।
सुखविंदर- राम-राम।
अब रामसेवक अपने बेटे सिद्धार्थ को फ़ोन करता है, घर में फ़ोन सिद्धार्त की माँ उठाती है और कुछ देर बात करने के बाद वह फ़ोन सिद्धार्थ को दे देती हैं ।
सिद्धार्थ – जी बाबू जी चरण स्पर्श !!
रामसेवक- सदा सुखी रह, बेटा मैं चाह रहा था कि अब तू भी यही आ जा अगर तेरी इच्छा हो तो !
सिद्धार्थ – बाबू जी मैं तो कब से देश की सेवा करना चाह रहा हूँ। बोलिये बाबु जी कब आना है ?
रामसेवक- बेटा तेरे 8 वीं के Exam कब से है ?
सिद्धार्थ – वो तो चल रहे है बस 2 Paper ही बचे है।
रामसेवक-ठीक है फिर तू Exam देके तुरंत आ जा और सुन अगर परविंदर आना चाहे तो उसे भी साथ में लेते आना, उससे बात कर ले फिर मुझे फ़ोन करना।
सिद्धार्त- जी बाबु जी चरण स्पर्श !!
रामसेवक- सदा सुखी रह।
और रामसेवक जी फ़ोन रख देते है।
अब सिद्धार्थ, परविंदर के पास जाता है और सारी बात बताता है। परविंदर पहले न कर देता है लेकिन बाद में उसे लगता है कि वो सिद्धार्थ के बिना नहीं रह पायेगा तो वो भी रात भर सोचने के बाद सिद्धार्त से हाँ कर देता है और सिद्धार्त अपने बाबू जी को फ़ोन कर के बताता है। रामसेवक जी दोनों बच्चो के लिए टिकट का प्रबंध कर देते है।
Exam ख़त्म होते ही परविंदर अपने पिता की आज्ञा लेता है और सिद्धार्थ के साथ नागपुर के लिए निकल पड़ता है। लगभग 25 घण्टे का सफर करने के बाद दोनों नागपुर पहुचते है।
ट्रेन रुकती है और दोनों डिब्बे से बाहर निकलते है। स्टेशन में रामसेवक जी खड़े होते है ,परविंदर जैसे ही उनको देखता है उसके होश उड़ जाते है और वो चिल्लाता है……..नहीं……..!!!!!!!!!
आशा करता हूं कि यह कहानी आपको पसंद आया होगा इसकी दूसरा भाग इसी वेबसाइट पर उपलब्ध कर दिया जाएगा , इसके लिए आप कॉमेंट जरूर करें। हम जल्द से जल्द कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद
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