प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी short motivational hindi story

प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी short motivational hindi story :-

Table of contents

1. तुम जो भी बोलोगे वह शब्द तुम्हारे ही पास लौट आएंगे :-
2. How to control your anger (गुस्सा को कंट्रोल कैसे करें ) :-
3. कहानी ऊँठ और सियार की मतलबी दोस्त :-
4. यह कहानियां भी आपको पसंद आएगा :-


दोस्तों आज मैं लेकर आया हूं प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी short motivational hindi story.  ये कहानियां आपको जीवन में आगे बड़ने को प्रेरित करेगी। ये कहानियां आपको उत्साह और ऊर्जा से भर देगी। तो चलो बिना समय गंवाए प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी short motivational hindi story को पड़ते हैं। 


तुम जो भी बोलोगे वह शब्द तुम्हारे ही पास लौट आएंगे  :-

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      एक व्यक्ति था। उस व्यक्ति के घर के पास एक पहाड़ था। वह रोज सुबह उस पहाड़ पर जाता और कुछ देर बैठने के बाद घर वापस आ जाता था। उसका एक छोटा सा बच्चा था। एक दिन वह भी जिद करने लगा पापा मैं भी आपके साथ जाऊंगा। वह व्यक्ति अपने बेटे को समझाने लगा, बेटा तुम वहां नहीं जा सकते हो, रास्ता बहुत जटिल है। उसका बेटा नहीं माना जीदकर के पिताजी के साथ चला गया। पिताजी सभी रास्ते को अच्छी तरह से जानते थे। कहीं पर रास्ता संकरी थी तो कहीं पर पत्थर। पिताजी आसानी से रास्ते को पार कर लिया क्योंकि वे प्रतिदिन इसी रास्ते से आते थे। उसका बेटा का ध्यान कहीं और था, जिसकी वजह से वह एक पत्थर से टकरा गया। घुटने में हल्की चोट लगने की वजह से उसके मुंह से जोर से आवाज आई 'आह'। वह आवाज पूरे पहाड़ पर गूंजा और वापस उसको सुनाई दिया। लड़का घबरा गया। कोई तो है जो मेरा मजाक उड़ा रहा है। 


     लड़के ने फिर जोर से आवाज लगाई। कौन हो तुम? फिर से आवाज गुंजकर वापस आ गया। लड़का बहुत ही गुस्से में था। मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं। वह लड़का अपने पिताजी का हाथ जोर से पकड़ लिया। पिताजी यह कौन है जो मेरा मजाक उड़ा रहा है। पिताजी समझ गया था, कि इसके मन में क्या चल रहा है। पिताजी जोर से कहते हैं। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। लड़का आश्चर्यचकित हो गया। यह क्या हो रहा है? वे कहते हैं कि वह हमसे प्यार करते हैं। पिताजी फिर जोर से चलाते हैं। तुम बहुत अच्छे हो। आवाज गुंजकर फिर वापस आ गया। अब लड़के के चेहरे पर स्माइल था। वह दोनों आगे बड़े अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद छोटा लड़का अपने दोनों हांथो को फैलाया और जोर से चिल्लाया। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। 


सीख 

     दोस्तों हम जो भी कहते हैं वह सब जो लौट कर हमारे पास भी आते हैं यदि बुरा बोलेंगे तो बुरा ही होगा यदि हम अच्छे शब्दों का प्रयोग करें तो सब कुछ अच्छा ही होगा। यह कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करना ना भूले। 



How to control your anger (गुस्सा को कंट्रोल कैसे करें ) :-


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       एक छोटी सी लड़की थी। उसको गुस्सा बहुत ज्यादा आती थी। वह लड़की अपने माता-पिता पर बहुत ज्यादा गुस्सा करती थी। कभी-कभी तो सामान उठाकर पटक देती थी। उनकी मां भी बहुत परेशान हो गई थी। माँ ने ट्यूशन टीचर से इस बारे में बात की, क्योंकि लड़की सिर्फ ट्यूशन टीचर की ही बात सुनती थी। टीचर ने माँ को सांत्वना दी। "आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपकी बेटी कुछ ही दिनों में शांत हो जाएगी।" मां के पास और भी कोई उपाय नहीं थी। इसलिए वह वंहा से चली गई।


     सभी बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए टीचर की घर में इकट्ठे हो जाते हैं। टीचर सभी बच्चों से कहती हैं। बच्चों आज हम लोग पढ़ाई नहीं करेंगे आज से हम एक खेल शुरू करने जा रहे हैं। ट्यूशन टीचर उस लड़की के पास जाकर कहती है। बेटा जब भी तुम्हें गुस्सा आए तुम दीवार पर एक कील ठोक देना। जो भी इस खेल को पूरा करेगा उसे अंत में इनाम मिलेगा। लड़की खुश हो गई। अब जब भी वे गुस्सा होती दीवार पर एक कील ठोक देती थी। पहले दिन उन्होंने 10 की ठोक डाली क्योंकि उसे गुस्सा बहुत ज्यादा आती थी। इसी तरह वे कुछ दिनों तक कील ठोकती ही रही। अब लड़की को लगा इतनी बार कील को ठोकने के लिए बार-बार मैं वहां जाती हूं। इतने समय में तो मैं अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकती हूं। उस लड़की मे धीरे-धीरे बदलाव शुरू हुआ। उसने अगले दिन 5 कील ठोकी फिर 4 कील फिर 3 कील फिर दो किल फिर एक कील एक दिन ऐसा भी आया, कि उन्होंने किल ठोकी ही नहीं, क्योंकि वह पूरे दिन अपने गुस्से को कंट्रोल कर ली थी।


     अब लड़की दौड़ते हुए अपने टीचर के पास जाती हैं और उन्हें बताती हैं, कि उन्होंने आज एक भी कील नहीं ठोंकी हैं। उन्हें गुस्सा भी बिल्कुल नहीं आई है। टीचर उसे सबासी देती हैं और उसे इनाम भी देती है। और कहती हैं। बेटा खेल अभी खत्म नहीं हुई है। अब तुम्हें जब भी गुस्सा ना आए तुम एक कील इन दीवारों से हटा देना। लड़की ने ऐसा ही किया। क्योंकि कील बहुत ज्यादा थी इसलिए उन्हें महीने भर से भी ज्यादा दिन लग गए कील को हटाने में। फिर से लड़की ने टीचर को अपने पास बुलाई और बोली देखो मैम मैंने सारा कील निकाल दिया है। टीचर बहुत प्रसन्न होती हैं।


टीचर :- तुम्हें इस दीवार पर कुछ दिखाई दे रही है? उस लड़की से प्रश्न पूछती है।


लड़की :- नहीं मैम


टीचर :- ध्यान से देखो। क्या दिखाई दे रही है?


लड़की :- मैंने जो कील ठोकी थी उसका निशान दिखाई दे रही है।


     तब फीचर लड़की को समझाती है। देखो बेटा तुम जब भी किसी पर गुस्सा करती हो, तो उसके दिल पर चोट लगती है, तुम लाख बार माफी मांग लो उसके दिल में लगे चोट तो मीठा नहीं सकती। अब लड़की को समझ में आ गई थी। वे भागते हुए अपनी मां के पास गई और उनसे लिपट गई। और रूआसी आवाज में कहती हैं। 'मां' अब मैं कभी भी गुस्सा नहीं करूंगी। 

कहानी ऊँठ और सियार की मतलबी दोस्त :-

      एक जंगल मे बहुत सारे जानवर रहते थे। जिनमें ऊँठ और सियार भी थे। उन दोनों मे गहरी दोस्ती थी। साथ साथ घूमना, भोजन की तालाश मे जाना। वे दोनों अधिक्तर एक साथ ही रहते थे। वहीं पास मे एक छोटा सा गांव था। पास ही बहुत बड़ा खेत था। जिनमें सभी प्रकार कि सब्जियाँ लगी हुई थी। लेकिन खेत और नदी के बीचो बीच नदी बहती थी। सियार नदी में पानी पीने के लिए आए थे। उसकी नजर उन तमाम सब्जियों पर पड़ती हैं। वह बहुत खुश हो जाते हैं।


     आज की सुखदायक भोजन का इंतजाम हो गया। जाकर मेरे दोस्तों को बताता हूं। वह अपने दोस्त ऊँठ के पास जाता है और सभी बात को बताता है। ऊँठ बोलते हैं। वहां जाना खतरे से खाली नहीं है। फिर भी सियार् नहीं माना, वहां जाने के लिए जिद करने लगा। और बोला नदी को पार करने के लिए मैं तुम्हारे पीठ पर बैठ जाऊंगा। ऊँठ बोला। ठीक है तो चलो चलते हैं।


     नदी पार करते वक्त ऊँठ सियार को कहते हैं। तुम खाने के बाद आवाजे बहुत करते हो, तो प्लीज वहां खाने के बाद आवाज बिल्कुल मत करना। वरना वहां का खेत का मालिक आ जाएगा। तुम तो बहुत तेज भाग जाओगे लेकिन मैं भाग नहीं पाऊंगा। सियार बोला ठीक है, मैं बिल्कुल भी आवजे नहीं करूंगा। 


     वह दोनों खेत में सब्जियां खाने लगे सियार का पेट छोटा था। छोटे होने के कारण उसका पेट जल्द ही भर गया। लेकिन ऊँठ का अभी तक नहीं भरा था। ऊंट की विनती करने पर भी सियार जोर-जोर से आवाजे करने लगा। आवाज को सुन कर खेत का मालिक वहां आ पहुंचा। सियार तो दुम - दबाकर भाग खड़ा हुआ। लेकिन ऊँठ वहीं रह गया। बेचारे, उसको खूब डंडे से मार पड़ी।


    वह किसी तरह वहां से भागकर नदी किनारे आ पहुंचा। सियार भी वही उसका इंतजार कर रहा था। सियार अपनी सफाई देने लगा। मैंने यह जानबूझकर नहीं किया। मुझे खाने के बाद चिल्लाने की आदत है। मैं अपने आप को काबू नहीं कर पाता हूं। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।


    अब सियार ऊँठ के पीठ पर बैठ जाता है नदी को पार करने के लिए। ऊँठ बहुत ही ज्यादा गुस्से में था। और सियार से बदला लेना चाहता था। जब वे दोनों नदी के बीचो-बीच पहुंच गए, तब ऊँठ सियार से कहते हैं। मुझे पानी में बैठने की आदत है। सियार के मिन्नते करने लगे। कृपया आप नदी मे ना बैठे। मैं नदी में डूब जाऊंगा। अपनी जान की हवाला देने लगे। फिर भी उठ नहीं माने, और बैठ गया नदी में। नदी का बहाव तेज होने के कारण सियार बह गया और नदी में डूब गया।


मेरे विचार से :-

     मुझे लगता है ऊंट ने सियार के साथ गलत किया। मैं मानता हूं कि सियार ने उसके साथ गलत किया था। फिर भी उसकी इतनी बड़ी सजा, कि उसकी जान ही ले - ले। यह तो जानवर है लेकिन इंसान भी कुछ कम नहीं होते। हर इंसान ऐसे नहीं होते हैं। लेकिन कुछ बदले लेने के चक्कर में एक - दूसरे की जान लेने के लिए तुले होते है। आपकी क्या राय है, हमें कमेंट कर सकते हैं। कहानी को अपने परिवार दोस्तों के  साथ भी शेयर करें धन्यवाद। 


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