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दोस्तो आज हम लेकर आए हैं short motivational story in hindi | hindi kahani | small motivational story in hindi। ये कहानियां आपको पढ़ने में मज़ा तो आएगा ही और साथ ही साथ यह छोटी कहानियां आपको जीवन में बहुत कुछ सीखा देगी। तो चलो बिना समय गंवाए चलते है अपनी कहानी की ओर :—
मुर्गा की अकल ठिकाने :-
मुर्गा की अकल ठिकाने :- बहुत समय पहले की बात है एक गांव में बहुत सारी मुर्गियां रहती थी। इनमें से एक मुर्गी बहुत ही खूबसूरत दिखती थी। श्यामू उस मुर्गी को बहुत खूब तंग किया करता था। मुर्गी उससे हमेशा परेशान रहती थी। एक दिन उसने सोची क्यों ना मैं सुबह बाक् ना दूं, चुप ही रहुं जिससे कोई भी सवेरे जल्दी न उठ पाए और मेरी अहमियत समझे। लेकिन अगली सुबह ही सभी जिस समय पर उठते थे, आज भी उठ गया और अपने कार्य पर लग गया। अब मुर्गी को समझ में आ गई थी, कि कोई भी काम उसके बिना नहीं रुकेगी, सुचारू रूप से चलती रहेगी।
लालची शेर :-
भीषण गर्मी के दिनों में एक भूखा शेर भोजन की तलाश में जंगल में भटक रहा था। तभी उसे एक खरगोश दिखा। सेर सोचने लगा "इतनी छोटी प्राणी से मेरा पेट नहीं भर पाएगा" अतः वे वहां से आगे चला गया। रास्ते में उसे एक हिरण दिखा। हिरण को देखकर सेर उसका शिकार करने के लिए पीछा किया। किंतु वह खाने की तलाश में बहुत चला था। वे थक गए थे। जिसके कारण हिरण को नहीं पकड़ पाए। अब उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, कि क्या किया जाए? अतः खरगोश को खाने के लिए वापस उसी स्थान पर गए। लेकिन वहां खरगोश मौजूद नहीं था। बेचारा शेर क्या करता बहुत दिनों तक ऐसे ही भूखा रहा।
शिक्षा अभी फिलहाल जो मौजूद हो उसी में खुश हो जाऊं वरना बाद में पछताना पड़ेगा
रामु और श्यामू की गहरी दोस्ती:-
ढोलक गांव में रामू नाम का लड़का रहता था। उनकी गर्मी की छुट्टी भी शुरू हो गई थी। वह अपनी मां से जीद करने लगे।" मम्मी - मम्मी" मुझे नानी घर जाना है। फिर क्या था, उसकी मां उसे साथ लेकर अपने मायके चली आई। रामू की नानी जी के बगीचे में बहुत सारा आम का वृक्ष था। जिसमें ढेर सारे आम लदे हुए थे। रामू का सबसे पसंदीदा फल आम ही था। वह खूब आम खाता था। यदि कोई उनके साथ हो और उसके हाथ में दो आम हो तब भी वे आम को बांट कर नहीं खाते थे। अकेले ही सारा आम खा जाता था।
उसकी नानी मां उससे खूब प्यार करती थी। उसे समझाती भी थी। "देखो रामू आम को अपने दोस्तों में भी बांटा कर"। रामू सिर्फ हां में हां मिला देता था, लेकिन अपने एक भी दोस्तों को कुछ ना देता था। एक दिन रामू अकेले ही नानी के बगीचे की ओर आम लाने के लिए जा रहे थे। कि अचानक वे सड़क पर धड़ाम से नीचे गिर गया, उसे चोट भी लग गई, रामू चल पाने में असमर्थ था। उसी गांव का एक लड़का जिसका नाम श्यामू था, वहीं से जा रहा होता है, कि रामु को नीचे गिरा देख श्यामू उसकी मदद करता है। और उसे घर पर छोड़ आता है। कुछ दिन बाद रामू एकदम स्वस्थ हो जाता है।
रामु श्यामू के बारे में पूछता है। उसकी नानी कहती है। "बेटा श्यामू बहुत ही अच्छे लड़का है, उन्होंने ही तुम्हें घर पर छोड़ा है।" नानी मां श्यामू के बारे में ढेर सारी तारीफ के पुल बांधती गई। रामू भी श्यामू से मिलना चाहता था। उन्होंने घनश्याम से कहा :- "मामा मुझे सिया मुख से मिलना है अतः मुझे उनके घर तक छोड़ आओ"
घनश्याम रामू को श्यामू के घर तक छोड़ आया। रामू श्यामू से मिलता है और उसे बहुत सारा आम देता है तथा उन्हें धन्यवाद भी कहता है। फिर क्या उन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती हो गई कि वे दोनों साथ - साथ ही रहते थे। और अपना टिफिन भी एक दूसरे के साथ शेयर भी करते थे। इस तरह रामू और श्यामू के बीच गहरी दोस्ती हो गई।
एक हफ्ते बाद रामू , श्यामू और उसके बाकी पांच दोस्त पिकनिक में जाने का प्लान बनाया। एक दिन तय किया और सभी अपने अपने सामान पैक कर जंगल की ओर निकल गए। वह सभी दोस्तों सड़क पर ही थे कि अचानक रास्ते में एक बहुत बड़ा सांप आ गया। सभी रुक गए, किशन नाम का लड़का सांप को मारने के लिए पत्थर उठा रहे थे। साथ ही साथ सभी को भी कह रहे थे।" इस सांप को मारो! नहीं तो; यह है हमें डस लेगा।
श्यामू एक नेक दिल बच्चा था। अतः वे सभी को समझाने लगे। और कहा :- तुम सभी रुको, थोड़ा शांत रहो। यह हमें कुछ नहीं करेगा, थोड़ी देर इंतजार करो, यह अपनी रास्ते में चला जाएगा। रामू भी श्यामू की बात से सहमत हो गया। कुछ देर बाद सांप वहां से चला गया।
वह सभी बच्चे पांचवी क्लास में पढ़ते थे अतः इतना ज्यादा ज्ञान भी नहीं था। सभी गाना को गुनगुनाते हुए जंगल में प्रवेश किया। रामू अपने बैग से चटाई निकाला और एक सुंदर जगह पर बिछाकर सभी उस में बैठ गया। सभी दोस्त अपने घरों से नाना प्रकार के व्यंजन बनाकर लाए थे। सभी मिलजुल कर स्वाद लेने लगे। अचानक जंगल में चोर आ गया जो बच्चों को अगवा करके उनसे काम करवाता था। सभी बच्चों को पकड़ लिया और एक बंद कमरे में डाल दिया।
अगले ही दिन सभी को सुनसान जगह पर ले गया, जहां उसकी फैक्ट्री थी। सभी दोस्तों को काम करने पर मजबूर कर दिया था। इधर उनके परिवार वाले भी बहुत चिंतित हो गया। उन लोगों ने पुलिस को जानकारी दे दी। श्यामू समझदार था। रामू के साथ मिलकर भागने का प्लान बनाने लगा। आखिरकार रामू और श्यामू की तालमेल इतनी अच्छी थी, कि वह दोनों भागने में सफल हो गया। आगे जाकर रामू कहता है। "हमारे बाकी के दोस्तों का क्या होगा?
श्यामू रामू से कहता है। "हम उन्हें भी बचाएंगे।"
रामू :- लेकिन कैसे?
श्यामू :- हम घर जाकर सभी को इस जगह के बारे में बता देंगे।
क्या रामू और श्यामू अपने दोस्तों को छुड़ाने में कामयाब हो पाएंगे जाने के लिए हमारे साथ बने रहे।
रामू घर पहुंच कर सभी को वहां हुए सभी घटना को बता देता है। घरवाले पुलिस को जानकारी दे देता है। जब पुलिस उस स्थान पर पहुंचता है, तो वहां कोई मौजूद नहीं होता है। चोर सभी को दूसरी जगह शिफ्ट कर देता है। तब रामू पुलिस को कहता है। " अंकल श्यामू ने कहा था, कि वह उनकी पीछा करेंगे और कुछ सुराग भी छोड़ेंगे।
फिर क्या पुलिस श्यामू के द्वारा छोड़े हुए सुराग को ढूंढने में लग गया। रामु भी पुलिस की मदद कर रहा था। उनकी नजर पत्थर पर पड़ी जिस पर श्यामू कुछ लिखा था। उससे पढ़कर श्यामू की बताई गई जगह पर जाकर पुलिस ने उन सभी चोरों को पकड़ लिया। सभी बच्चे आजाद हो गया और रामू के सभी दोस्त भी आजाद हो गया।
यह रहा दो गहरे दोस्त रामू और श्यामू की कहानी। आगे आने वाली कहानी इससे भी इंटरेस्टिंग है इसीलिए बनी रहे हमारे साथ।
ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी :-
एक गांव में एक ईमानदार लकड़हारा रहता था उनका और उनके परिवार का जीवन लकड़ी की धंधे से चलता था। लकड़हारा बहुत ही सीधा साधा और ईमानदार व्यक्ति था। लकड़हारा की ईमानदारी का परिचय उनके जीवन के एक छोटी सी घटना से पता चलता है। तो चलने देते हैं :-
दरअसल ईमानदार लकड़हारा प्रतिदिन लकड़ी काटने के लिए जंगल जाया करता था। एक दिन लकड़हारा नदी किनारे वाले पेड़ पर चढ़कर टहनियां काट रहे थे। अचानक उनके हाथ से कुल्हाड़ी छूट जाती हैं और नदी में गिर जाता है। ईमानदार लकड़हारा कुल्हाड़ी को ढूंढने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह कुल्हाड़ी ढूंढने में असफल हो जाता है। लकड़हारा दुखी होकर वहीं पर बैठकर दुःखी मन से भगवान से प्रार्थना करता है।
हे भगवान! मेरी कुल्हाड़ी खो गई है कृपया उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए।
नदी देवता उनकी प्रार्थना को सुनकर प्रकट हुआ। नदी देव को ईमानदार लकड़हारा सारी घटना बता दी। नदी देव कुछ क्षण के लिए गायब हो गया। और जब प्रकट हुए तो उनके हाथ में सुनहरी कुल्हाड़ी था।
लकड़हारे से कहा :- क्या यह सुनहरी कुल्हाड़ी आपकी हैं?
लकड़हारा :- नहीं नदी देव, लगता है यह किसी अमीर व्यक्ति की होगी। आप उसे लौटा दीजिएगा। नदी देव कुछ क्षण के लिए गायब हो गया। और जब प्रकट हुए तो उनके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी।
फिर से नदी देव बोले :- हे वत्स तो फिर क्या यह कुल्हाड़ी आपकी है ?
लकड़हारा :- यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है नदी देव, लेकिन जिनकी भी हो आप उसे लौटा दीजियेगा जरूर। इस बार नदी देव विलम्ब से प्रकट हुआ। उनके हाथ में लोहे का कुल्हाड़ी था। उसे देख ईमानदार लकड़हारा बोला :- ऐसा प्रतीत होता है कि यह कुल्हाड़ी मेरी ही कुल्हाड़ी जैसी दिख रहा है, यह कुल्हाड़ी मुझे दे दीजिए। नदी देव लकड़हारा की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुआ। नदी देव ने लकड़हारे को उनकी कुल्हाड़ी के साथ साथ बाकी के दोनों कुल्हाड़ी को भी उपहार स्वरूप दे दिया।
शिक्षा :- चाहता तो लकड़हारा सुनहरी कुल्हाड़ी या फिर चांदी की कुल्हाड़ी लालच बस ले सकता था। किंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया उन्होंने उस समय उस स्थान पर अपनी ईमानदारी दिखाई, उसका फल उसे अंत में जरूर मिला। आप भी ईमानदार बने। और हमारे साथ बने रहे
चालाक गधे और शेर की कहानी :-
एक जंगल में शेर रहता था वह प्रतिदिन नदी किनारे पानी पीने के लिए जाया करता था। एक दिन जब शेर नदी के एक किनारे पानी पी रहा होता है। उसी समय नदी के दूसरे किनारे एक गधा पानी पी रहा था। गधे को देख शेर कहते है।
"मैंने सुना है कि एक घोड़ा बहुत ही सुंदर गाना गाते हैं मैं उनका गाना सुनना चाहता हूं।"
गधा शेर की चाल नहीं समझ पाया।
गधा बोला :- महाराज घोड़े की गाना बाद में सुनना, पहले मेरा यह गाना तो सुनिए।
गधा जैसे ही आंख बंद करके रेंकने लगा, शेर चुपके से नदी पार कर गधे को पकड़ लिया।
गधा भी चलाक था। चलाक गधा वहां पर अपनी चलाकी दिखाई। और फिर
शेर से बोला -: महाराज मैंने सुना है कि शेर बहुत ही बलवान और जंगल की सबसे शक्तिशाली प्राणी है। मैं जानता हूं, कि आप मुझे अपना भोजन बनाने वाले है। लेकिन शेर भोजन करने से पहले भोजन मंत्र अवश्य करता है।
फिर क्या शेर अपनी प्रशंसा सुनकर गर्व से भर उठता है और जैसे ही भोजन मंत्र करने के लिए अपनी आंखें बंद करता है। गधे को वहां से नौ दो ग्यारह होने के लिए सही समय मिल जाता है। तथा वहां से फरार हो जाता है। शेर को अपनी मूर्खता पर अफसोस होने लगता है।
Moral of the stories :-
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