हिंदी कहानियां, बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां ( कहानी हिंदी ), जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी

हिंदी कहानियां, बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां ( कहानी हिंदी ), जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी


Table of contents:-


प्रस्तावना :- 

दोस्तों आज हम लेकर आए हैं हिंदी कहानियां, बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां ( कहानी हिंदी ), जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी। अच्छी अच्छी कहानियां बच्चो को बहुत पसंद होता है। छोटे बच्चो में नैतिक मूल्यों का विकास इन्ही हिंदी कहानियां, बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां ( कहानी हिंदी ), जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी को सुनने से होती है। यहां तीन ऐसी कहानियां दिया है जो बच्चो की नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाली है। अतः इन कहानियों को बच्चो को अवश्य सुनाए। 


हिंदी कहानियां, बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां ( कहानी हिंदी ), जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी


शेर और चूहे की मजेदार कहानी :-

एक घने जंगल में किसी वृक्ष के नीचे एक शेर बड़े ही आराम से गहरी नींद ले रहे थे। तभी एक चूहा वहां आता है और शेर को सोते हुए देख वहां उछल कूद मचाना शुरू कर देता है। चूहा शेर के ऊपर चढ़कर जैसे ही उछलने लगता है, शेर तुरंत ही चूहे को पकड़ लेता है।


     चूहा शेर से कहता है :- "क्षमा महाराज" मुझसे गलती हो गई, जब कभी आपको किसी चीज के लिए मदद की जरूरत पड़ेगी, तो मैं अवश्य ही आपकी मदद करूंगा। शेर ठहाके लगाकर हंसते हुए कहते हैं :- "मैं बहुत ही शक्तिशाली हूं, मुझे किसी की मदद की जरूरत नहीं है" बड़े दिनों बाद तुम्हारी वजह से इतना हंसा हूं, इसलिए आज तुम्हें मैं क्षमा कर देता हूं। 


     कुछ दिन बाद शेर एक शिकारी के द्वारा बिछाए गए जाल में फस जाता है। चूहा वहीं से जा रहा होता है। अचानक शेर को जाल में फंसा हुआ देखकर पुरानी बातें याद आ जाती हैं, इसलिए अपनी किए हुए वादे के अनुसार चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को कुतरना शुरू कर दिया। जल्द ही शेर उस जाल से स्वतंत्र हो गया। 


     शेर की समझ में आ चुका था कि कोई भी प्राणी को छोटा नहीं समझना चाहिए। वे दोनों एक दूसरे को धन्यवाद बोलकर दोस्ती का हाथ बढ़ा लिया और मिलजुल कर रहने लगा। मुझे लगता है कि अब आप भी समझ गए होंगे। 


सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी ( लालच बुरी बला है ) :- 

   बहुत समय पहले की बात है दो दोस्त हुआ करते थे। एक का नाम राम था, और दूसरे का नाम घनश्याम। दोनों ने बचपन से ही गहरी दोस्ती थी। दरसल घनश्याम एक किसान था। उनका पूरा परिवार जीवन - यापन के लिए एक छोटे से खेत पर निर्भर थे। वह बहुत ही गरीब थे। घनश्याम पैसा इकट्ठा करने के लिए नए-नए तरीके ढूंढा करते थे। उनकी पत्नी श्यामा घर ग्रहणी थी। वह घर पर ही रहती थी।

     इधर राम विदेश चला गया था। वे वही सेटल हो गया था, वही जॉब भी करता था। उनके पास खूब सारे पैसे थे। वे साल के एक महीने अपने गांव में आकर व्यतीत करते थे। इस बार जब राम गांव पहुंचा तब घनश्याम की स्थिति देखकर बड़ा दुखी हुआ। तब राम ने एक उपाय बताया। वे घनश्याम से कहते हैं। क्यों न तुम अंडे का व्यवसाय शुरू कर लो। तुम कुछ मुर्गियां खरीद लेना और उनसे जो अंडे प्राप्त होंगे उन्हें बेच देना। 

घनश्याम :- लेकिन मेरे पास इतने भी पैसे नहीं है कि मैं मुर्गियां खरीद सकूँ।

     तब राम, घनश्याम को समझाते हुए कहते है। देखो मित्र! मैं आपके सहायता करने के लिए तैयार हूँ। ये कुछ पैसे रख लो, इसे तुम चाहो बढ़ मे मुझे लौटा देना। घनश्याम तैयार हो गया। और बाजार जाकर उन्होंने उन पैसों से कुछ मुर्गियां और उनके लिए चारा ख़रीद लाया। कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चल रहा था। सब कुछ ठीक चल रहा था। एक दिन मुर्गियों ने अंडा देना प्रारंभ कर दिया। उस दिन घनश्याम अपने खेत गया हुआ था। उसकी पत्नी श्यामा घर पर ही थी। श्याम यह देखकर खुशी से भर गई थी, कि उनमें से एक मुर्गी सोने का अंडा दिया था। 

     किसान घर पहुँच कर अपनी पत्नी को देखकर हैरान हो गया। उनकी पत्नी खूब चमक रही थी। अर्थात गहने पहनी हुई थी। घनश्याम के पूछने पर उसकी पत्नी सभी बात को विस्तार से बताती है। कि कैसे एक मुर्गी ने सोने का अंडा दिया। घनश्याम भी बहुत खुश हो जाते है। अब किसान के बुरे दिन खत्म हो गया था। एक दिन उसकी पत्नी श्यामा सोने लगी - कितने दिन तक एक - एक सोने के अंडे लेते रहेंगे, क्यों ना सभी सोने के अंडे एक साथ प्राप्त किया जाय इससे हमारे सात पुस्तो तक बैठ कर खायेंगे। वे तुरंत इस बारे मे अपने पति से बात करते है। 

     घनश्याम ने भी बिना सोचे - समझे अपनी पत्नी के बातों मे आ गया। फिर क्या उन्होंने तेज धार वाले चक्कु लाए और मुर्गी का पेट फाड़ दिया। सोने के अंडे देने वाली मुर्गी तुरंत वही पर ही मर गई। घनश्याम और उसकी पत्नी श्यामा हाँथ पर हाँथ बैठ गए। उन्हें पछतावे के साथ बहुत दुःखी होने लगे। इसलिए कहते है लालच बुरी बला है।   


दयालु विजय best moral story :-

    कुछ लोग बचपन से ही बहुत दयालु होते हैं। ऐसी ही हमारा नन्हा सा बालक विजय है। वह बहुत ही दयालु होते हैं। बिच्छू, सन्यासी आदि कोई भी उनके घर से खाली हाथ नहीं लौटते। साधु सन्यासी, भिखारी लगभग रोज इनके घर पर खाना और बिक्छा मांगने के लिए दरवाजे के बाहर आया करते थे। विजय उन लोगों को जो भी कुछ उसके हाथ में होते थे दे देता था। वह कभी नहीं सोचता था कि इन चीजों की कीमत क्या है?


     उसकी मां परमेश्वरी भी विजय से परेशान हो गई थी। वे हमेशा कहती थी, यदि तुम इसी तरह सभी समान देते रहोगे तो मैं घर ग्रहस्थी कैसे चला पाऊँगी। एक दिन उसके मां ने विजय से परेशान हो कर उसे एक कमरे में बंद कर दिया। और बाहर से ताला लगा दिया। बेचारा विजय क्या करता, वह बहुत ही दुखी हो गया। तभी उसको एक भिखारी की आवाज सुनाई पड़ा। वह भिखारी उसी के दरवाजे पर खड़ा था। दयालु विजय भिखारी को कुछ देना चाहता था। 


     दयालु विजय कमरे की चारों ओर नजर दौड़ाई, उस कमरे मे दो सन्दूके थी। एक पर ताला नहीं लगा था। उन्होंने उस सन्दुख से साल और कंबल निकाला और खिड़की के पास आ गया। भिखारी ठीक खिड़की के नीचे ही खड़ा था। वे पूरा खुला बदन था। वे कपड़े भी नहीं पहने थे। दयालु विजय ने साल और कम्बल उस भिखारी को दे दिया। भिखारी उसे खूब आशीर्वाद देते और दयालु विजय की दयालुता पर गदगद होकर उसे दुआएं देते हुए वहां से आगे चला गया। 


निष्कर्ष :-

दोस्तो हमने देखा कि तीनो कहानियां बहुत ही मजेदार है। और बच्चो में नैतिक मूल्यों का विकास करने वाला है। इन कहानियों में हम देखते हैं कि पहली कहानी एक शेर और चूहे की है। इस कहानी में बताया गया है कि कोई भी जानवर या प्राणी को छोटा या बड़ा नही समझना चाहिए। उचित समय आने पर वह भी बड़े से बड़े कार्य को सम्पन्न कर देते है जिस कार्य को कोई बड़ा जानवर नही कर सकता। दूसरा कहानी एक किसान घनस्याम की है जो लालच में पड़कर अपनी पत्नी के साथ मिलकर मुर्गी को सोने की अंडा देने वाली मुर्गी समझ कर काट दिया। अंत में उनके हाथ कुछ भी नही लगा। और तीसरी कहानी दयालु विजय की है जो बच्चो में दयालुता का गुण उत्पन्न करने वाले हैं। 

दोस्तो यह कहानियां आपको कैसा लगा हमे कॉमेंट में अवश्य बताए। 

धन्यवाद,

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