hindi stories in hindi with moral | हिंदी कहानियां | moral kahani in hindi

 hindi stories in hindi with moral | हिंदी कहानियां | moral kahani in hindi

Table of contents :-


Moral kahani in hindi :- 

नमस्कार दोस्तों आज मैं लेकर आया हूं तीन ऐसी कहानियां ( hindi stories in hindi with moral | हिंदी कहानियां | moral kahani in hindi ) जो आपको प्रेरणा से भर देगी। ये कहानियां आपको जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी। तो बिना समय गंवाए चलिए पढ़ते हैं ( hindi stories in hindi with moral | हिंदी कहानियां | moral kahani in hindi )। 


www.knowledgeinhindi.com


एक सैनिक की रुला देने वाली कहानी :-

      एक सैनिक जो युद्ध करने के लिए दूसरे देश चला जाता है। उसके घर वालों को पल-पल की खबर नहीं पहुंच पा रहा था। उसके घर वाले भी बहुत चिंतित रहता था। ना जाने क्या हुआ होगा हमारे बेटे के साथ, वे लोग अखबार आदि के माध्यम से इधर-उधर की और युद्ध की खबरें जानने का प्रयास करते रहते थे। 


      तकरीबन तीन महीने बाद अखबार में आया। युद्ध अब समाप्त हो गई है। घरवालों को आशा था कि अब युद्ध समाप्त हो गया है तो मेरा बेटा अगर जीवित होगा तो हमें कांटेक्ट करेगा (फोन करेगा)। दो दिन बाद एक कॉल आया। घर वाले फोन उठाएं, लाइन पर बेटा था। घर वाले निश्चिंत हो गए, चलो मेरा बेटा सुरक्षित हैं। बहुत प्रसन्न हुए। सैनिक बेटा भी घर की हालचाल लेने लगा। 


  सैनिक बोलता है -: माँ मेरा एक दोस्त है, जो मेरे ही साथ रहता है, मैं उसे अपने साथ घर लाना चाहता हूं। घरवाले अत्यधिक प्रसन्न थे। जल्दी में बोले हां हां ठीक है बेटा उसे भी अपने साथ ले आओ। बेटा बोला -: मेरा पूरी बात तो सुन लीजिए। दरअसल मेरा दोस्त हमेशा मेरे ही साथ रहेगा। घर वाले बात को काटते हुए बोले -: हां हां ठीक है हमें कोई परेशानी नहीं होगी, उसे भी अपने साथ घर ले आओ।


   बेटा बोला -: मेरा पूरी बात तो सुन लीजिए, एक बम विस्फोट में उसके एक हाथ और एक पैर नहीं रहे। घरवाले शांत और चिंतित आवाज में बोले -: बेटा कहां वह हमारे साथ रह पाएगा, क्यों लेकर आ रहे हो उसे अपने साथ, मत लाओ हम बीच बीच में मदद भेज देंगे। भगवान भरोसे उसे छोड़ दो।


 बेटा बोला -: क्यों माँ? बेटा वह हमारे साथ बोझ बनकर रहेगा। बेटा -: ठीक है कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। चालिस से पचास दिन बीत गए। घरवाले इंतजार करते रहे। ना जाने कब आएगा मेरा बेटा।


      लगभग पचास दिन बाद घर में कॉल आया, कि उसका बेटा अब नहीं रहा। सैनिक ने छत से कूदकर आत्महत्या कर लिया था। घरवाले जब उसके मृत शरीर देखे, चकित हो गया। उसके एक हाथ और एक पैर नहीं थे। वह अफसोस करने लगे उस दिन अगर मैं उसके साथी को भी बुलाने की बात करता, तो आज शायद यह नहीं होता। इसके मौत की जिम्मेदार हम ही है।


मुर्तिकार एक प्रेरणादाई कहानी :-

    एक गांव में बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार रहता था। वह बहुत ही सुंदर सुंदर मूर्तियां बनाया करता था। एक दिन वहां के राजा उस मूर्तिकार से प्रभावित होकर एक बहुत बड़ा सुंदर भगवान की मूर्ति बनाने का कार्य सौंपा। मूर्तिकार भगवान की मूर्ति बनाने के लिए एक अच्छी पत्थर की तलाश में निकल गया। मूर्तिकार को एक बहुत ही बड़ा पत्थर दिखा जिससे मूर्ति बहुत ही सुंदर दिखती। उस पत्थर को अपने घर ले आया। मुर्तिकार भगवान की आकृति में पत्थर को तराशने लगा। कार्य बहुत ही कठिन था। पत्थर उस चोर को सहन नहीं कर पा रहा था। उसने मूर्तिकार से विनती किया, कि अब और चीनी हथौड़ी से मत मारिए। मुझे अत्यधिक कष्ट हो रहा है। आप दूसरे पत्थर का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर क्या मूर्तिकार दूसरे पत्थर की तलाश में निकल गया। 


     मुर्तिकार को वैसे ही एक दूसरा पत्थर मिल गया। इस बार पत्थर को आकृति देखकर मुर्तिकार भगवान की प्रतिमा बनाई। पत्थर को अत्यधिक चोट लगने पर भी प्रसन्न थे, क्योंकि पत्थर जानता था, यदि अभी इस कष्ट को सहन करूँगा, तो आगे आने वाले समय में रोज मेरी पूजा होगी। मुझ पर फूल बरसेंगी। मुर्तिकार ने पहले वाले पत्थर से सीढ़ी का निर्माण किया। राजा ने मूर्ति को मंदिर में स्थापना की। जब भी भक्तगण मंदिर जाते थे, सीढ़ी पर ही चढ़कर जाते थे। सीढ़ी को बहुत अफसोस हो रहा था। अपने आप को कोसने लगा, "काश उस दिन अगर मैं यह कठिनाई पहले ही झेल लेता तो मैं इस मूर्ति की जगह पर होती। और लोग मेरी पूजा करते।


     दोस्तों जब भी हमारे साथ अच्छा होने वाला होता है हम बीच में आने वाली कठिनाइयों परेशानियों की वजह से पीछे हट जाते हैं। और बाद में पछतावा करते हैं, कि काश उस दिन ऐसा कर लिया होता, वैसा कर लिया होता तो आज ऐसा ना होता। 


गुरु और दो शिष्यो की कहानी :- 

एक बार एक धनी सेठ जी एक संत को भोजन के लिए आमंत्रित किया था। संत जी का गुरुवार का व्रत था। अतः वे नहीं जा सके। लेकिन संत जी ने अपने दो शिष्यों को उस धनी सेठ के यहां अपने बदले में भोजन करने के लिए भेज दिया था।


जब दोनों शिष्य भोजन कर आश्रम लौटे, उनमें से एक शिष्य दुखी और दूसरा शिष्य प्रसन्न था। संत जी को आश्चर्य हुआ।


संत दुखी शिष्य से पूछता हैं :- क्यों दुखी हो? क्या सेठ ने भोजन में अंतर कर दिया।


शिष्य बोला :- नहीं गुरु जी।


गुरुजी :- क्या सम्मान करने में अंतर कर दिया।


शिष्य :- नहीं गुरु जी।


गुरुजी :- तो फिर क्या दान दक्षिणा में अंतर कर दिया।


शिष्य :- नहीं गुरु जी। मुझे 2 रूपये दिए और दूसरे को भी 2 रुपए दिए।


अब गुरु जी और ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया


पूछा :- तो फिर तुम्हारे दुखी होने का क्या कारण है?


शिष्य बोला :- मैं सोचता था, कि सेठ जी बहुत धनी व्यक्ति हैं। मुझको ऐसा लग रहा था कि वह हमें 10 रुपए देंगे, लेकिन सिर्फ 2 रुपए ही दिए। यह सोच कर मैं थोड़ा दुखी हूं।


अब गुरूजी दूसरे शिष्य से पूछता है:- तुम क्यों इतना प्रसन्न हो?


     दूसरा शिष्य बोला :- गुरु जी, सेठ जी बहुत ही कंजूस होते हुए भी हमें 2-2 रूपये दिए। मुझे लग रहा था कि वह हमें आठ आने से ज्यादा नहीं देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ।


    बस यही हमारे मन के साथ होता है। घटना तो सभी के जीवन में एक समान रूप से घटता है। लेकिन कोई दुखी रहता है तो कोई सुखी। 


    यदि किसी का कामना पूरी ना हो तो दुखी हो जाते हैं। और कामना पूरी हो तो सुखी हो जाते हैं।

 और यदि कोई कामना ही ना हो तो आनंद ही आनंद है।


Moral of the stories :-

दोस्तो हमने देखा कि तीनो कहानियां आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। पहिली कहानी एक सैनिक की है जो अपने दोस्त के बहाने अपने लिए घर में रहने का बात करते है। बताते है कि मेरे दोस्त का पैर युद्ध में खो दिया है और वह हमेशा हमारे साथ हमारे ही घर में रहेगा। घर वाले उनको बोझ समझ कर मना कर देते हैं। दूसरी कहानी से हम सीखते है कि जो जितना ज्यादा तपेगा उनमें उतना ही निखार आएगा। तीसरी कहानी से हम सीखते हैं कि हमे जो भी मिले उनमें खुश रहना चाहिए। दोस्तो आप अपनी राय हमे बताए और यह कहानियां अपने दोस्तों में शेयर करें 


Your queries :- 

hindi story in hindi

hindi story hindi story hindi story

hindi story in

hindi kahani

short story in hindi

हिंदी कहानियां

कहानी हिंदी

hindi moral stories

मजेदार कहानियां

हिंदी stories

hindi stories moral stories

short story for hindi

moral kahani in hindi

hindi moral story in hindi

hindi short story in hindi

short hindi moral story

hindi stories in hindi with moral


Read more stories :- 


Home click here 
सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी ( लालच बुरी बला है ) click here 
 Sarhad Paar love Story  click here 
एक किसान और लड़के की शानदार कहानी click here 
Story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी click here 
मौका चूक मत जाना click here 
शिष्य की परीक्षा ईश्वर क्या है भगवान क्या है ? click here 
बुढ़िया और गाय की मजेदार कहानी  click here 
शरारती मोहन की कहानी click here 
मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग  click here 
दयालु विजय best moral short story in hindi  click here 
Murkh batuni cachuaa मूर्ख बातूनी कछुआ  click here 
How to control your anger (गुस्सा को कंट्रोल कैसे करें ) click here 

Post a Comment

0 Comments