जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी | मजेदार बाल कहानियां | हिंदी कहानियां प्रेरणादायक | baccho ki kahani

 जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी | मजेदार बाल कहानियां | हिंदी कहानियां प्रेरणादायक | baccho ki kahani

Table of contents :- 


हिंदी कहानियां प्रेरणादायक :-

दोस्तो आज मैं लेकर आया हूं  ( जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी | मजेदार बाल कहानियां | हिंदी कहानियां प्रेरणादायक | baccho ki kahani )। इसे पढ़ने से आपको प्रेरणा के साथ साथ खूब मजा भी आयेगा। यहां तीन कहानी दिया गया है। इसे अंत तक अवश्य पढ़े। 

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी | मजेदार बाल कहानियां | हिंदी कहानियां प्रेरणादायक | baccho ki kahani


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जैसा का तैसा मजेदार बाल कहानी 

    कहानी इस प्रकार है कि एक राज्य में जीवार्धन नाम के बनिया का लड़का रहता था। उनके पास पूंजी की कमी हो गई थी। अतः वे धन की खोज में परदेस जाने का विचार बनाया। उनके पास धन संपत्ति तो नहीं थी लेकिन उनके पास बहुत पुराना लोहे का तराजू था। जो बहुत ही भारी था। जीवार्धन का लड़का उस तराजू को अपने पड़ोसी के यहां सौंपकर प्रदेश चला जाता है। 

 वे धन संपदा से परिपूर्ण होकर अपनी राज्य वापस आ जाते हैं। जब वह अपना कीमती तराजू अपने पड़ोसी से मानते हैं तो उसके पड़ोसी कहता है क्षमा करें लेकिन आपकी तराजू को तो चूहे ने खा लिया है। बनिए का लड़का समझ चुका था कि या महाजन मेरे तराजू के साथ घपला कर रहा है। लेकिन उनके पास और कोई चारा भी ना था। तभी वे कुछ देर सोचता है, फिर महाजन से कहता है:- मित्र मैं स्नान करने के लिए नदी किनारे जा रहा हूं। आप भी अपने लड़के को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा कर आ जाएगा।

 महाजन बनिए की सज्जनता से अत्यधिक प्रभावित थे। वे तुरंत ही अपने लड़के को बनिए के साथ भेज दिया। बनिया भी चालाक था। उसने महाजन के लड़के को कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बंद कर दिया। और बाहर से पत्थर से ढक दिया जिससे वह लड़का बाहर ना आ सके। 

जब बनिया स्नान का घर वापस लौटे। महाजन बनिया से कहता है :- मित्र मेरा पुत्र भी तो आप ही के साथ स्नान करने के लिए गया था। वह कहां है? दिखाई नहीं दे रहा है। 

 बनिया बोला :- महाजन! क्षमा करें, लेकिन आपके लड़के को तो चील उठा ले गया है।

 महाजन बोले :- यह आप क्या कह रहे हैं? आप कंही मूर्ख तो नहीं हो गए हो। भला एक चील कैसे इतने भारी भरकम इंसान को उठा ले जाएगा। 

 बनिया बोला :- महाजन! जब मेरा भारी-भरकम तराजू को चूहा खा सकता है। तो क्या आप के लड़के को चील उठाकर नहीं ले जा सकता है।

 इस बात से महाजन क्रोधित हो जाते हैं। बनिए और महाजन के मध्य लड़ाई हो जाता है और विवाद को लेकर राजमहल चला जाता है।

 वहां महाजन न्यायाधीश को अपनी दुखद कहानी सुनाता है। "इस बनिया ने मेरा लड़का को चुरा लिया है।"

 न्यायधीश बनिया से कहता है :- बनिया इसक लड़का वापस दे दो

 बनिया बोला :- लेकिन महाराज, उसे तू चील उड़ा के ले गया है। तो कहां से लाकर दूं?

 न्यायाधीश कहता हैं :- ये आप क्या कह रहे हो? क्या कभी चील लड़के को उठाकर ले जा सकता हैं।

 बनिया कहता है :- बच्चे को चील उठाकर ले जाए, यह संभव नहीं हो सकता तो फिर भारी भरकम तराजू को चूहा कैसे खा सकता है। बनिया अपना सारा वृतांत कथा न्याधीश को बता देता है।


गुस्सा को कंट्रोल कैसे करें जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी

    एक महिला थी। वे छोटी-छोटी बातों पर अत्यधिक गुस्सा हो जाती थी। उसकी इसी गुस्से की वजह से घर में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती थी। उनको भी अपनी इस आदत से बेहद परेशान थी। 

 एक दिन इसके घर में साधु महाराज आते हैं। महिला ने साधु महाराज को अपनी सारी परेशानी बताई। साधु महाराज ने महिला को एक सीसा मे दवा दिया और कहा। "जब भी तुम्हें गुस्सा आए इनमें से पांच बूंद अपने जीभ में डालना और दस मिनट तक उसे अपने मुंह में ही रखना। यदि ऐसा नहीं किया तो यह दवा काम ही नहीं करेगा।

 अब महिला को जब भी गुस्सा आती थी। दवा ले लेती और साधु महाराज जी के कहे अनुसार दस मिनट तक अपनी जीभ में ही रखती थी। धीरे-धीरे महिला की गुस्सा कम होने लगी लगभग एक हफ्ते तक यह सिलसिला चलता रहा। देखते-देखते महिला को गुस्सा करने की क्षमता कम हो गई और घर में सभी शांतिपूर्ण रहने लगे। 

 कुछ दिन बाद साधु महाराज फिर से उस महिला के घर आया। महिला ने साधु महाराज से अपने गुस्से को कम होने के बारे में बताएं।

 तभी साधु महाराज कहते हैं :- सुनो मैंने जो आपको दवा दिया है, उनमें सिर्फ पानी भरा हुआ है। और तुम्हारा गुस्सा करना इसलिए छूटा, कि तुम जब भी गुस्सा करती थी उस दवा को पीकर दस मिनट तक शान्त रहती थी, कुछ भी बोल नहीं पाती थी। इसका अर्थ यह है कि गुस्से को केवल और केवल मौन रहने से शान्त किया जा सकता है। गुस्से में प्राणी को कुछ भी दिखाई नहीं देता। उल्टा पुल्टा कुछ भी कहता रहता है। अतः शांति मौन रहने से ही उसके गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है। 


baccho ki kahani :– लालची राजा

एक राज्य में एक राजा रहता था। वह राजा अत्यधिक ही लालची प्रवृत्ति का था। उनका लालच इतना बढ़ गया था कि वह अपनी प्रजा से अत्यधिक कर वसूल करने लगे। वह सोना, चांदी, हीरा और जवाहरात को अत्यधिक पसंद करते थे। लेकिन इन सबसे ज्यादा अपनी पुत्री से प्रेम करते थे। 

 एक बार राजा जंगल में शिकार करने के लिए निकला था। एक लड़की की रोने की आवाज आई। राजा तुरंत ही उसके पास गया और देखा कि एक लड़की जाल में फंसी हुई थी। राजा ने उसकी मदद की। जाल को छुड़ाने मे कामयाब हो गया। वह लड़की एक परी थी। वे राजा को धन्यवाद बोली और वहां से जाने लगी। लेकिन राजा तो लालची प्रवृत्ति का था। वे परी को जाने से रोका और बोला :- मैंने तुम्हारी जान बचाया है। तुम मेरा एक इक्छा पूरी करो, तभी तुम यहां से जा सकती हो। परी राजा की अभारी थी, अतः उसका इच्छा पूरा करना चाहती थी। 

बोली :- क्या इच्छा है तुम्हारा?

राजा बोला :- मैं जिस भी चीज को हाथ लगा लू, वह सोने में परिवर्तित हो जाए। परी तुमहारा इच्छा पूरी हो कहकर वहां से चली गई। 

अब राजा जिस भी चीज को छूता, सोने का हो जाता था। उन्होंने कंकड़ पत्थर को छुकर सोने का बना दिया। वे रास्ते में आने वाली कंकड़ पत्थर को सोने का बनाता गया।

 राजा जब अपने महल मे पहुंचता है उसकी पुत्री अपने पिताजी से गले मिलने के लिए दौड़ी चली आती है। लेकिन जैसे ही उसका देह अपने पिता के हाथों से स्पर्श होती हैं वह भी सोने की स्त्री में परिवर्तित हो जाती हैं। 

 राजा खूब रोने लगता हैं। उसे अपने ऊपर शर्म आने लगता है, कि उसने यह क्या कर दिया? अपने लालच के कारण ही उनकी पुत्री को कस्ट भुगतना पड़ रहा है। राजा अपने जीवन का शेष दिन उस परी को खोजने में ही बिता दिया। दोस्तों इस प्रकार लालच करने वालों का दुष्परिणाम बहुत ही घातक होता है।


Moral of the stories :- 

आशा करता हूं कि यह तीनो कहानियां आपको पसंद आया होगा। ऐसी ही ढेर सारी कहानियों के लिए बने रहे हमारे साथ www.knowledgeinhindi.com. जिसमे आपको जीवन से जुड़ी हुई कुछ बाते सीखने को मिलेगा। 

यह कहानियां अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में शेयर अवश्य करे साथ ही कॉमेंट करना ना भूले। 

धन्यवाद,

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