motivational hindi short story, small motivational stories in hindi
Table of contents
2. ऊपरवाले पर भरोसा करना कभी मत छोड़ना
3. बुजुर्ग दादा जी के अनमोल विचार
4. यह कहानियां भी आपको पढ़नी चाहिए :-
प्रस्तावना :—
दोस्तों हिंदी कहानियां पढ़ना किसको पसंद नहीं है। ऐसी ही आज मैं लेकर आया हूं :– motivational hindi short story, small motivational stories in hindi. ये कहानियां सच में आपके विचार को बदल सकता है। पहली कहानी एक साधु की है जो हमेशा भगवान का ही जप करते रहते है। उन्हें एक नव विवाहित जोड़ा ने खूब परेशान किया फिर भगवान ने उस जोड़ा के साथ जो किया वो कहानी में देखते हैं। दूसरी कहानी दादा जी के अनमोल विचार के ऊपर है। दादा जी कहते है कि मेरे एक के यह काम करने से किसी एक का जीवन भी बच जाता है तो यह बहुत बड़ी सौभाग्य की बात है, दुनिया चाहे कुछ भी करे। दोनो कहानी को अंत तक अवश्य पढ़े। यह कहानियां हमारे जीवन में बहुत बड़ी सीख देती है।
ऊपरवाले पर भरोसा करना कभी मत छोड़ना
एक आश्रम मे साधु महाराज रहते थे। वे भिक्षा मांगकर अपना जीवन व्यापन व्यतीत करते थे। यह सोच कर आश्रम से शहर कि ओर निकलती हैं, कि वहां कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा और शहर की भी सैर कर आऊंगा।
वह साधु महाराज भगवान का नाम लेते हुए शहर की ओर निकल जाते है। कुछ देर बाद मौसम खराब हो गया और हल्की बारिश होने लगी। वह साधु महाराज बारिश का आनंद लेते हुए चले जा रहे थे। कि आचानक बीच में उन्हें जलेबी का छोटा सा स्टॉल दिखा।
साधु महाराज को काफी भूख लग रहा था। वह सोचा "क्यों ना इस हलवाई से कुछ खाने की चीजें मांग लिया जाए।" लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हुई वहां जाने की।
तभी हलवाई की नजर उस साधु महाराज पर पड़ती है, जो बारिश में भीग रहे थे। वे मन ही मन सोचने लगते हैं। "लगता हैं साधु महाराज काफी भूखे हैं।" तभी हलवाई साधु महाराज को अपने पास बुला लेते हैं। और साधु महराज को भरपेट भोजन देते हैं। साधु महाराज भी उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। तुम सदा खुश रहो, तुम दो-चार और दुकान खोल लो, आगे बढ़ो, और खूब तरक्की करो। ऐसे बहुत से आशीर्वाद देते हैं।
साधु महाराज वहां से आगे चले जाते हैं अपनी धुन में भगवान का नाम लेते हुए। वर्षा के कारण सड़कों पर भरे हुए पानी को अपने पैरों से सींचते हुए, अपनी धुन में ही चले जा रहे थे। तभी वहां से एक नवविवाहित जोड़ा आ रहे थे।
तभी महिला की साड़ी पर पानी की बूंदे चले जाते हैं। जिससे उसके पति साधु महराज से गुस्सा हो जाते हैं। और साधु महाराज को खूब गालियां देने लगते हैं। साधु महाराज को एक जोर से थप्पड़ भी लगा देते हैं। महिला अपने पति से कह रही थी। छोड़ो न अब, गलती से हो गया होगा। यह सांडी धोने के बाद ठीक हो जाएगी। फिर भी उसके पति नहीं माने और साधु महाराज से उलझे रहें।
साधु महाराज भी अपने भगवान से मन हि मन कहते हैं यह आपकी कैसी माया है। कभी भरपेट भोजन देते हो और कुछ देर बाद जोर से चपाटे।
नवविवाहित जोड़ा अपने घर चले जाते हैं। वे दोनों सीढ़ियों से ऊपर कमरे मे जाने के लिए चढते हैं, कि अचानक उस लड़के का पैर (वर्षा के पानी में गीले होने के कारण) फिसल कर नीचे गिर जाता है। वे लहू-लुहान हो जाते हैं। और तुरंत ही बेहोश हो जाते हैं।
सभी लोग वहां इकट्ठे हो जाते हैं। तभी उसकी पत्नी पहले हुई सभी घटना के बारे में बताने लगती हैं। और कहती हैं जरूर उस साधु महाराज ने कोई श्राप दिया होगा, जिससे मेरे पति नीचे गिर गया है। अब वहां इकट्ठे हुए कुछ लड़के गुस्से में उस साधु महाराज को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है।
जैसे हि वे सभी लड़के साधु महाराज को देखते हैं, उसे मारने लगते है। साधु महाराज पूछते हैं। मुझे क्यों मार रहे हो? 'भाई' फिर उन लड़कों ने सारी बात बताते हैं। और कहते है जरूर तुमने मेरे मित्र को श्राप दिया होगा। जिससे वे सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते वक्त नीचे गिर गया।
तब साधु महाराज उन लड़कों से कहते हैं। देखो इसमें मेरा कोई गलती नहीं है। मुझसे गलती से उसकी पत्नी की साड़ी पर पानी के छींटे चला गया था। जिससे उसके पति ने मुझे खूब डांटा, एक चपट भी लगाई। मैंने कुछ भी नहीं किया। उन्हें श्राप भी नहीं दिया। उन्होंने यह सब अपने साथी पत्नी के लिए किया। वैसे ही मेरे साथ गलत होते देख मेरे साथी मेरे भगवान चुप कैसे बैठ सकते थे। उन्हें कुछ तो कुछ करना ही था।
सभी लड़के शांत हो गए और वहां से चले गए। साधु महाराज भी अपने भगवान का नाम लेते हुए उनका गुणगान करते हुए आगे की ओर चला गया।
Moral of the story:-
बुजुर्ग दादा जी के अनमोल विचार
बात उन दिनों की है जब घनश्याम अपने गांव के तलाब किनारे दौड़ने के लिए जाया करता था। वे जब भी जाता एक बात जरूर नोटिस करता था। वहां एक बुजुर्ग दादाजी छोटी-छोटी कछुओ की पीठ को साफ किया करते थे। वे रोज़ इस कार्य को करते थे। लड़के के मन में जानने की इच्छा हुई। क्यों दादा जी ऐसा करते हैं? एक दिन वह लड़का दादा जी के पास गया। दादा जी का अभिवादन किया। नमस्ते दादा जी।
दादा जी :- खुश रहो बेटा। क्या बात है बेटा? आज बहुत ही खुश नजर आ रहे हो।
लड़का :- कुछ नहीं दादाजी। दादाजी मैं आपको हर रोज़ इन कछुओ की पीठ को साफ करते हुए देखता हूं। ऐसा आप क्यों करते हैं?
दादाजी कहते हैं बेटा ऐसा करके मुझे अंदर से सुख और शांति का अनुभव होता है। क्योंकि इन कछुओ की पीठ पर कचरा जम जाता है जिनकी वजह से इन कछुओ में गर्मी पैदा करने की शक्ति तीक्ष्ण हो जाती हैं। यदि कचरा वैसा ही रहा तो उन्हें तैरने में भी परेशानी होगी। कई सारे कछुए तो इन्हीं सब परेशानियों से असमय मर जाते हैं।
लड़का यह सब सुनकर बड़ा हैरान हो जाता है। उसने फिर से दादा जी से सवाल किया। दादा जी मैं मानता हूं कि आप बहुत ही बढ़िया काम कर रहे हैं। लेकिन ऐसा बहुत से कछुए भी हैं जो इन कछुओं से भी बुरी हालत में है। उनका क्या? आपके अकेले करने से ये दुनिया तो नहीं बदल जाएंगी।
दादा जी उस लड़के को बड़ी प्यार से समझाते हैं। देखो बेटा मैं मानता हूं कि मेरा ऐसा करने से इस पूरे संसार में कोई बदलाव नहीं आएगा लेकिन इस एक कछुए की पूरी जीवन तो बदल जाएगी ना। और बदलाव की शुरुआत छोटी-छोटी अच्छी आदतों से ही होती है।
अच्छे विचार :-
यदि समाज भी इस बात को समझे और छोटी-छोटी अच्छी आदतों की शुरुआत करें। एक दिन ऐसा भी आएगा कि हमारा समाज, गांव और आसपास का परिवेश बदल जाएगा। आओ हम भी करें अपने जीवन में अच्छी-अच्छी छोटी आदतों का शुरुआत। यह कहानियां अपने दोस्तों को अवश्य शेयर करें। आपको कौन सी बात अच्छी लगी कॉमेंट जरूर करें।
धन्यवाद,
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